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Thursday, September 5, 2013

ओ तालिबान !

जिसने जाना नही इस्लाम 
वो है दरिंदा 
वो है तालिबान...

सदियों से खड़े थे चुपचाप 
बामियान में बुद्ध 
उसे क्यों ध्वंस किया तालिबान 

इस्लाम भी नही बदल पाया तुम्हे 
ओ तालिबान 
ले ली तुम्हारे विचारों ने 
सुष्मिता बेनर्जी की जान....

कैसा है तुम्हारी व्यवस्था 
ओ तालिबान!
जिसमे तनिक भी गुंजाइश नही 
आलोचना की 
तर्क की 
असहमति की 
विरोध की...

कैसी चाहते हो तुम दुनिया 
कि जिसमे बम और बंदूकें हों 
कि जिसमे गुस्सा और नफ़रत हो 
कि जिसमे जहालत और गुलामी हो 
कि जिसमे तुम रहो 
और रह पायें तुम्हे मानने वाले...

मुझे बताओ 
क्या यही सबक है इस्लाम का...?

1 comment:

  1. अमेरिका ने आज तक जितने निर्दोषों को मौत के घाट उतरा है , तालिबान , अल काएदा , सिमी ,हुजी, लश्करे तोयबा मिल कर भी उत्नो की हत्याए नहीं किये होंगे . फिर भी आपके निशाने पे तालिबान ..... बड़े आतंकवादी को नज़रंदाज़ कर के आप छोटे आतंकवादी पे ध्यान मर्कुज़ कर रहे है . यद् रखिये, इससे अमेरिकी साम्राज्यवाद को ही फायदा होगा , उसके शस्त्र उद्योग को फलने फूलने का अवसर मिलेगा और अफगानिस्तान , इराक, जैसे कई मुस्लिम देशो पे उसके आक्रमणों को वैधता मिलती जाएगी ////

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